परिचय : Zoho Success Story: कैसे बनी यह भारतीय कंपनी एक ग्लोबल ब्रांड?
Zoho Success Story: कैसे बनी यह भारतीय कंपनी एक ग्लोबल ब्रांड?: हेलो दोस्तो आज के इस ब्लॉग में आपका स्वागत है, आज हम इस ब्लॉग में भारत के एक ऐसे इंसान की बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने 40000 करोड़ की कंपनी खड़ी की, ये इंसान एक सामान्य जीवन जीते थे | जैसे की लुंगी पहना, साइकिल पर चलना, खेतों में समय बिताना, आज के दिन इनकी कंपनी का मुनाफा 2700 करोड़ है और ये सालाना आय 7000 करोड़ है|
चलिए एक उदाहरण से समझते है, आपने टीवी पर प्रचलित एक शो देखा होगा शार्क टैंक, इस शो के जजों में अमन गुप्ता सबसे सफल है और इनका मुनाफा 68 करोड़ है, तो लगभग 40 अमन गुप्ता जैसे बिज़नेस के मालिक भी 2700 करोड़ मुनाफे के आसपास नहीं पहुंचेंगे, तो हम बात कर रहे है जोहो कॉर्पोरेशन – Zoho Corporation के CEO & Founder, Sridhar Vembu (श्रीधर वेम्बु) की, तो चलिए जानते है Zoho Success Story: कैसे बनी यह भारतीय कंपनी एक ग्लोबल ब्रांड?
जोहो कॉर्पोरेशन
कौन है श्रीधर वेम्बु – Sridhar Vembu :
तो आईये जानते है श्रीधर वेम्बु : Sridhar Vembu जी के बारे में कुछ जानकारी, श्रीधर वेम्बु तमिलनाडू के एक छोटे से गांव में पैदा हुए थे, जहां उनका परिवार कृषि करता था, लेकिन कुछ समय बाद उनके पिताजी तनिलनाडु के एक शहर चेन्नई में शिफ्ट हो गए, जहां उनके पिताजी हाई कोर्ट में स्टेनोग्राफर की नौकरी करने लगे।, यही से श्रीधर वेम्बू ने JEE (Joint Entrance Examination- ये भारत में इंजिनीररिंग की पढाई के लिए ये परीक्षा दी जाती है) की तयारी की और और JEE की परीक्षा देकर पुरे भारत में 27वीं रैंक हासिल की|
इसके बाद IIT मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और अपने परिवार ग्रेजुएशन करने वाले पहले व्यक्ति बने | यही से श्रीधर वेम्बू ने सपना देखा की उन्हें अपने हाथो से कंप्यूटर बनाना है, और वैज्ञानिक या प्रोफेसर बनकर इसके बारे में रिसर्च करे , लेकिन IIT का जो सिलेबस था उसमे इनको वो गहराई नहीं मिली जो वो करना चाहते थे|
IIT से डिग्री लेने के बाद Sridhar Vembu, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी गए ( Princeton Universit, New Jersey, United States) यहाँ से उन्होंने ने पीएचडी की डिग्री हांसिल की, लेकिन Sridhar Vembu यहाँ भी संतुष्ट नहीं हुए , यहाँ जो उन्होंने किताबे पढ़ी उनमे भी उन्हें आनंद की प्राप्ति नहीं होरी थी, फिर आखिरकार उन्होंने जो सोचा एक अलग ही रस्ते खोजेंगे और उस पर चलेंगे, इसके बाद से इन्होने लाइब्रेरी से किताबे लेकर पढाई शुरू करदी और रिसर्च करने लगे फिर यहाँ से उनकी जिंदगी का असली सफर शुरू हुआ|

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जोहो कॉर्पोरेशन -Zoho Corporation : एक छोटे से ऑफिस से शुरू होकर बना सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री का बड़ा नाम
श्रीधर वेम्बू ने 1994 अपनी पढाई ख़त्म करने के बाद नौकरी करनी शुरू की , उनको पैकेज भी अच्छा मिला था, लेकिन उनके मन में कुछ अलग करने की चाह थी, फिर 1996 में उनके भाई ने उनको सुझाव दिया की क्यों न अपनी कंपनी शुरू करें भारत में जिससे वो अपने देश में रोजगार पैदा कर सके और भारत का नाम रोशन कर सके, इसके बाद दोनों भाई चेन्नई आ गए और AdventNet नाम से कंपनी शुरू की, शुरुआत में इन्होने प्लान किया की हार्डवेयर बनाएंगे लेकिन मशीन बनाने में ही पूरा पैसा खर्च गया और मशीन नहीं बन पायी उस समय फंडिंग जैसा चलन नहीं था, फिर उन्हें मजबूरन सॉफ्टवेयर की तरफ जाना पड़ा और फोकस किया|

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जोहो का पहला ब्रेकथ्रू: जब कंपनी ने सफलता की राह पकड़ी
Adventnet कंपनी को पहली बार एक एक्सहिबिशन के दौरान 1998 में जापानी कस्टमर्स ने पसंद किया, इससे पहले ये जापानी कस्टमर्स HP कंपनी के सॉफ्टवेयर लेरे थे लेकिन वो बहुत महँगा था, फिर कस्टमर्स ने पूछा “क्या आप इसे सस्ते में बना सकते हैं?” , और श्रीधर वेम्बू तुरंत हाँ बोला, फिर यहाँ से श्रीधर वेम्बू को समझ आ गया की बड़ी कम्पनिया प्रोडक्ट्स अमीर लोगो के लिए महंगा और सस्ते लोगो के लिए सस्ता बनतीं है, फिर इन्हे एक बड़ा आर्डर मिला, इसके बाद इनकी आय 1 मिलियन डॉलर यानि की आज के लगभग 8 करोड़ रूपए, कंपनी ने ये 2 साल में हासिल किया तो उनके लिए बड़ी उपलब्धि थी,
फिर इसके बाद इनकी टीम साल 2000 में लगभग 115 लोगो की हो गयी और कंपनी का टर्नओवर 10 मिलियन डॉलर, और इस समय डॉट-कॉम भी बूम पर था, कंपनी कि वैल्यूएशन लगभग 2 मिलियन डॉलर थी, इस समय पर उन्हें 25 मिलियन में इनकी सौंपने बेचने का ऑफर आया था लेकिन 5 लोगो की टीम ने मना कर दिया, ये ये लोग कंपनी को अपने पेसो से आगे बढ़ाना चाहते थे न की निवेशक भरोसे.
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जोहो कॉर्पोरेशन की नींव: कठिनाइयों में छुपे मौके
साल 2000 डॉट-कॉम क्रैश हो गया और NASDAQ 5000 से 1140 अंक तक गिर गया, जिसकी बजह से जोहो के 80% क्लाइंट रातो रत गायब हो गए, जहां कंपनी ऐसा होने पर अपने कर्मचारियों की छटनी कर देती है, वही श्रीधर वेम्बू ने उल्टा किया उन्होंने अपने किसी भी कर्मचारी को नहीं निकाला और न ही कर्जा लिया, उन्होंने कुछ कैश संभालकर रखा हुआ था,
फिर उन्होंने कहा हम 6 -12 महीने तक काम चला सकते है, इस समय को उन्होंने R&D (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) का साल बना दिया और 115 इंजीनर्स ने एक नया प्रोडक्ट पर काम किया, जिसे “Manage Engine” बोला गया, ये सिस्टम कंपनी की कमाई का बड़ा जरिया बना इसके साथ ही क्लाउड सर्विसेज की भी सोच आयी, और यही से जोहो – ZOHO प्रोडक्ट का जन्म हुआ |
जोहो का मॉडल बेहद ही आसान था- ये मॉडल बहुत सारी बिज़नेस परेशानी को हल करता था जैसे की HR, फाइनेंस, हायरिंग साथ ही ये सॉफ्टवेयर सस्ता था, जहा बड़ी कंपनी इस तरह के सॉफ्टवर्स को 1 करोड़ में बेच देती थी वही जोहो बोलती थी 1 लाख में लेलो।

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Zoho Success Story के मूल मंत्र
- लो-कॉस्ट प्रोवाइडर : भारत में लेबर और संसाधन कॉस्ट सस्ती है, तो जोहो भारत में प्रोडक्ट बनाकर अमेरिका में बेचती है |
- नए प्रोडक्ट्स : कंपनी हर साल 3 प्रोडक्ट लॉच करती है, जो पुराने सपोर्ट करते है, आज के समय जोहो के 45+ अप्प्स है
- फ्रीमियम मॉडल: इस मॉडल से जोहो कस्टमर को पहले मुप्त इस्तमाल करने का ऑप्शन देती है, अगर कस्टमर्स को पसंद आये तो ही पैसे दे|
- रेफरल और चैनल पार्टनर: जोहो अपना मार्केटिंग का खर्चा बचाने के लिए रेफेरल और चॅनेल पार्टनर का तरीका इस्तेमाल करती है|
- मार्केट गैप: मार्किट में छोटी कम्पनिया भी बहुत सारी है, जहा बड़ी कंपनीयां नहीं पहुंची वह जोहो ने काम किया|

जोहो का अनोखा मॉडल: शिक्षा और रोजगार का संगम
जोहो ने दूसरी कम्पनियो से अलग हटके सोचा, जोहो बड़े कॉलेज या यूनिवर्सिटी से इंजीनीर्स नहीं लेते और श्रीधर वेम्बू बोलते है इनमें TCS, Google जैसी कम्पनीज जाती है, हम तो छोटे कॉलेज के लोगो को लाते है | जोहो ने ।” 2004 में उन्होंने “Zoho University” शुरू की | जोहो ने 10-12 क्लास के बच्चो को 6 महीने तक टेक इंग्लिश और सॉफ्ट स्किल्स सिखाई जाती है, और इन बच्चो को 10000 रूपए महीना स्टीपेन्ड दिया जाता है, आज के समय में जोहो में 15% इंजिनीर्स के पास कोई डिग्री नहीं है, ये स्कूल से आये और कोडिंग सीखर काम करने लगे
Zoho Success Story में ग्रामीण भारत पर भी फोकस
जोहो भारत के ग्रामीण हिस्से में 10-15% खर्च करते है, जिसे ये 25-30% तक ले जाने की प्लानिंग कर रहे है, इसके लिए जोहो के ग्रामीण क्षेत्रो में सेंटर्स खोले जारे है, अभी के समय में तमिलनाडु के टेनकासी और आंध्र प्रदेश के रेनिगुंटा में 500 कर्मचारी काम करते है, श्रीधर वेम्बू इतनी बड़ी कंपनी खोलने के बाद भी गांव में रहते है, सुबह 4 बजे उठते है, गांव के तालाब में नहाते है और रात में पेड़ के निचे, श्रीधर वेम्बू का ये भी मानना है की अपनी कंपनी अपने ही पेसो से स्टार्ट करनी चाहिए ताकि निवेशकों का दवाब न हो |

जोहो कॉर्पोरेशन : श्रीधर का संदेश
जोहो कॉर्पोरेशन के सीईओ और फाउंडर “बिजनेस में जल्दबाजी मत करो। पहले नींव मजबूत करो। पाँच साल तक कुछ न होने की सोच रखो। छठे साल से कमाई शुरू होगी।” ये सोच जो माइनस 5 की सोच गुजरातियों के 10000 दिन सिद्धांत से मिलती है जैसे की धीरे चलो, मजबूत बनो, बड़ा बनाओ। आज समय sridhar vembu net worth $5.85 billion है|
निष्कर्ष – Zoho Success Story
श्रीधर वेम्बु और Zoho Success Story निष्कर्ष ये निकलता अगर सच्ची मेहनत से काम किया जाये तो कुछ भी मुमकिन है ये केस स्टडी युवाओं को प्रेरणा देती है की बिना शोर शराबे, बिना कर्जा लिए और अपने दम पर एक बड़ी कंपनी खड़ी करी जा सकती है, जोहो आज के समय में 180 देशो से कस्टमर्स है और 6 करोड़ ग्राहक है, श्रीधर वेम्बु को भारत सरकार द्वारा “पद्म श्री” से भी सम्मानित किया गया है , सीख ये है कुछ धन अपने पास रिज़र्व करके रखे जो आपको बुरे समय में काम आएगा | और साथ ही जैसे श्रीधर वेम्बू को किताबे और यूनिवर्सिटी सब नहीं सीखा, इसके लिए अलग अलग जाये और खुद से भी तयारी करे |